मान्यता प्राप्त ठगी
ठगों की ठगी से ठगा हुओं की
ये मजबूरी भी कैसी समस्या,
और कोई *पसंद भी तो नहीं,
प्रवचन, भाषण नहीं,
अपने बर्तन बासण देखों !!!
एक मकान मालिक का स्वभाव ठीक नहीं , तो क्या करोगे.
एक जगह विशेष में दुकान न चले तो क्या करोगे,
जिस देश में किसी स्वतंत्र विधायक/सांसद को मुहरे दिखा कर वोटों का
तुष्टिकरण धर्म जातीगत आधार रिझाने को हो,
आपकी रसोई का स्वाद बिगड़ जाये,
आत्म-स्वाभिमान इसलिये गिर जाये,
आपके पास कमाई के साधन नहीं हैं.
ऐसी *सोने की कैद *सोने नहीं देती है.
सब छीन लेते है, जो मानसिक विक्षिप्तता
पैदा करे,
Mahender Singh