मानस जीवन यज्ञ
यज्ञ है मानस का जीवन, जिंदगी हवन कुंड होती है
मन बुद्धि ज्ञानेंद्रियां आत्मा, यज्ञ में ”होता” होती हैं
पवित्र ज्ञान दर्शन शक्ति से, यज्ञ भरण पोषण होता है
श्रवण शक्ति से उत्तम श्रवण,मन से मनन होता है
वाणी रूपी मधुर मंत्र, शालीन मधुरता लाते हैं
मुख से पाते पौष्टिक आहार, शारीरिक सौष्ठव पाते हैं
कर्मेंद्रियां उत्तम कर्मों की, पावन आहूति देतीं हैं
श्रेष्ठ चिंतन मनन बुद्धि, जीवन आनंद फल लेतीं हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी