मात पिता के नाम चिठ्ठी
पूज्य माता जी एवं पिताजी, सादर प्रणाम
तुम हो मेरे भाग्य विधाता, तुम ही हो भगवान
घर द्वार और देश छोड़कर, आन बसा परदेश में
मां की गोद पिता का साया, स्वर्ग छोड़कर देश में
रुपया डालर और भौतिक चीजें, मैंने बहुत कमाईं
नहीं शांति मिल पाई, सुख ना मुझको दे पाईं
नहीं भूल पाया मैं बचपन, तेरे आंचल की छांव मां
बचपन के वह संगी साथी, खेत खलियान गांव मां
दिल करता है सब छोड़-छाड़, वापस वतन आ जाऊं
पा जाऊं सानिध्य तुम्हारा, मैं कृतार्थ हो जाऊं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी