मां जब मै रोजगार पाऊँगा ( बेरोजगारी की चीत्कार )
रोजगार पाने से पहले ।
एक लङका अपने परिवार से ।
क्या-क्या वादा करता है ।
और अपने मां से ।
क्या वो कहता है ।
मां मै जब नौकरी पाऊँगा ।
तो उस पहली तनख्वाह से ।
तेरे आंचल को सितारे से सजाऊंगा ।
मां गरीबी दूर करूँगा ।
मै भी रहने के लिए ।
एक अच्छा घर बनाऊँगा ।
टी.वी,कूलर, पंखा क्या ।
AC उसमे लगाऊंगा ।
संगमरमर का फर्श होगा ।
नोटो से भरा पर्स होगा ।
तब बताओ हमको मां तुम ।
संघर्ष का कितना हर्ष होगा ।
घर में ही पुष्प वाटिका होगी ।
जहां बैठ मन बहलेगा ।
मां रसोइया ऐसा होगा ।
गैस सिलेंडर नीचे होगा ।
बनेगी चूल्हे पर उसके।
56 भोग लजीज पकवाने ।
उपले न फिर धुकनी होगी ।
अपने भी होंगे ताने-बाने ।
बाहर मां होगी चमकती ।
अपनी भी एक बाइक ।
जिस पर हम बैठ चलेंगे ।
हम भी होंगे व्यक्ति जाने-माने ।
मां अपनी प्यारी बहन की शादी ।
बनाकर करेंगे इक शहजादी ।
सोने, हीरे जवाहरात से ।
हम बने आभूषण देंगे ।
साङी और समानो से ।
सब कुछ हम भर देंगे ।
मांगेगा वर पक्ष जो ।
सब चीजे हम रख देंगे ।
अतिथि सेवा भाव मे कोई ।
रह गई ना कोई कमी हमसे ।
सब कुछ उनके मुंह पर कह देंगे ।
होगी विदाई जब तब तो ।
अपनी लाडली बहना को कैसे देंगे ।
कलेजे के टुकड़े को कैसे विदा कर देंगे ।
पर दस्तूर है जो दुनिया का ।
हम कैसे खतम कर देंगे ।
रो-रोकर ये आंखे कितने आँसू बहाती है ।
बहना बचपन की यादे मेरे दिल से कभी न जाती है ।
की कैसे मै तुमसे रूठ जाता था ।
और तुम मनाया करती थी ।
कभी-कभी तो अपने ही हाथो से।
मुझको खाना खिलाया करती थी।
राखी के दिन तुम मुझको ।
आरती दिखाया करती थी ।
सोच कर सारी यह सब बाते ।
नींद नही आती है आंखो में ।
ये तो बहन का प्यार ही है ।
जो सारी-सारी रात जगाया करती थी ।
मां अपने छोटे भाई को ।
मै तो खूब पढाऊंगा ।
उसको भी अपने जैसा ।
मै रोजगार दिलाऊंगा ।
खुद के पांव पर खङा करके ।
उसका भी घर बसाऊंगा ।
सुख -दुःख के हम होंगे साथी ।
हर काम में हाथ बटाऊंगा ।
हर कदम पर उसके साथ रहूँगा ।
जब तक न मर जाऊँगा ।
मां मै जब रोजगार पाऊंगा ।
सारे सपने सजाऊंगा ।
पर किसे पता था मां ।
एक रेलवे स्टेशन पर ।
चाय बेचने वाला ।
एक दिन रेलवे को ही ।
बेच डालेगा ।
करके सब कुछ नीजीकरण ।
युवा के सपने को छल जाएगा ।
कोरोना से भी है बङी महामारी ।
हर देश मे फैली जो बेरोजगारी ।
क्या करेंगे हम युवा ।
फैलेगा कैसे विचार नवा ।
अब तो बस आक्रोश है।
इस सरकार से सब खामोश है ।
पर हमको चाहिए इसका जवाब ।
देश की जनता है नवाब ।
तानाशाह शासन का चलेगा ।
नही कोई यहाँ हिसाब ।
सब हताश, सब निराश ।
कहां गया आपका नारा ।
सबका साथ -सबका विकास ।
नही रहा अब तनिक विश्वास ।
हो गया है सब सत्यानाश ।
पर हम युवाओ का ।
खोआ नही है आत्मविश्वास ।
दूसरा तो आएगा कोई ।
करेगा जो हमारे स्वप्न साकार ।
अबकी बार भी मन की बात को।
पूरा-पूरा डिसलाइक हो ।
ताकि उनको भी पता चले ।
इस देश के युवा ।
जब कोई इग्जाम देते है ।
तो कैसे माइनस मार्किंग से भी वो डटते है।
कदम जब आगे बढा ही दिया ।
तो कभी न पीछे हटते है ।
मां तू निराश मत हो ।
मैं एक दिन जरूर रोजगार पाऊँगा ।
तेरे हरेक स्वप्न को मै सजाऊंगा ।
मां तू क्यूं रोती है ।
तेरे ही अंदर तो मुझको ।
मिलती लक्ष्य की ज्योति है ।
चाह ले जिसको हम दिल से ।
क्या मजाल जो वह न होती है ।
होगा तभी मां स्वप्न साकार ।
जब मिलेगा हमको रोजगार ।
पर मां सब दबा है न जाने क्यूं ।
इस देश में है क्यूं इतना भ्रष्टाचार।
आओ सब हम मिल करे अनशन और हड़ताल ।
आओ मिला लो ताल से ताल ।
जल्द ही काट फेंकेंगे इसका जाल।
क्योकि सबसे होगी द्रुत अपनी चाल ।
चलने न देंगे इसे अब सालों-साल।
हों जाने दो चाहे बवाल ।
पर अबकी बार आर या पार ।
मां गुमसुम से क्यूं बैठी हो।
मै जब रोजगार पाऊँगा ।
तेरे आंचल को सितारे से सजाऊंगा ।
बहना और मेरे भाई ।
जो भी किया हूं वादा ।
सब कुछ मैं निभाऊंगा ।
उसके बाद ही अपनी महबूबा लाऊंगा ।
विदेश जाने को मत कहो ।
देश में ही रोजगार लाऊंगा ।
अपने देश को ही आगे बढाऊंगा।
मां मैं जब रोजगार पाऊंगा ।
तेरे आंचल को ——–????
Poet :- RJ ☆ Anand Prajapati ??