मां का गुणानुनाद
मां के वीणा से ये कैसी निकल रही तान है ।
इसी से चमन मे अमन, राग का विहान है ।
हे! मां तुझसे ही चल रहा ये जहान है ।
हाथो मे देख शंख, त्रिशूल भाग रहा शैतान है ।
हो कर मगन तेरी भक्ति मे मां हम कर रहे गान है ।
श्रद्धा -सबूरी लिए हाथ मे बैठी मां कमलासन है ।
जिसने भी दुःख मे मां को है भजा ।
उसका बेङापार और दुःख का पलायन है ।
रूण्ड -मुण्ड जो संहार किया उस मां का नाम कात्यायन है ।
नवरात्र के समय ये कैसा मौसम मनोरम मनभावन है ।
ऐसा लग रहा हमको दिल बाग -बाग और लुभावन है ।
मां के चरणो मे जलधार चढाए ऐसा लगता सावन है ।
शक्ति और भक्ति का पर्व सबसे ही पावन है ।
सिंह सवारी मां आपकी चलता निर्भीक डरावन है ।
भूडोल डोल जाती है जब मां का आवागमन हो ।
मां के चरणो मे शीश नवाके करते अभिवादन है ।
आप का ध्यान लगाकर मां करते रसास्वादन है ।
जो जो मांगा पूर हुआ ये मां का दया का दामन है ।
जय माता दी के नारो से करते सब ये नादन है ।
ज्योति जला नारियल चढा सब करते समर्पण है ।
मां आपकी महिमा मे सब दिख रहे जैसे दर्पण है ।
मां विंध्यवासिनी के भक्ति मे मिलता सब सुख परायण है ।
??Rj Anand Prajapati ??