मां आदिशक्ति क्या मांगू
मोहपाश में बंधा हुआ
मां आदिशक्ति क्या मांगू
आप है सिरजनहार मेरी
मैं अज्ञानी क्या जानू
मोहे निशा में जाग रहा
प्रकाश कभी न देखा
घर गृहस्थी संसार ही
मां मेरी है जीवन रेखा
दूर करो मां पीड़ाएं
तोड़ो कर्मों के बंधन
आत्मप्रकाश करो मां जग में
मचा हुआ है क्रंदन
मैं हूं माता निपट अनाड़ी
पार नहीं पा पाऊंगा
कैंसे तेरी गोद में माता
निर्मल बन फिर आऊंगा
जय माता दी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी