माँ
*माँ *
माँ तो माँ है,
मांँ से न कोई महान है।
मांँ के भीतर बसी सारी दुनिया जहान है।
मांँ वो शख्सियत है जो सींचती,
हमारे तन-मन और प्राण है।
मांँ से ही संचालित हो रहा संसार है।
मांँ के हर कदम से संतान का होता कल्याण है।
बिन माँ के हर प्राणी का जीवन बेजान है।
मांँ के चरणों तले जीवन है जान है।
मांँ है तो हर प्राणी का जीवन आसान है।
बिन मां के जीवन दुखों की खान है।
मांँ ईश्वर का दिया हुआ एक वरदान है।
सच पूछो तो
इस पृथ्वी पर मांँ साक्षात भगवान् है।।।
–रंजना माथुर दिनांक 16/08/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना)
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