माँ
मय्या की गोदी पाने को,आपस में लड़ जाते थे।
कितने गहरे घाव लगे हों एक फूँक से भर जाते थे।
आज अनेकों पीडाएं हैं ,उनसे अधिक दवाएँ हैं,
कहाँ गई वो मीठी पुडिया जिससे रोग भगाते थे।
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माँ पास रहेगी इसलिए झूठ-मूट बीमार पड़ जाते थे।
गली में कोई भी चीज बिकने आए ,लेने को अड़ जाते थे।
आज जब माँ मिलने को बुलाती है,तो बीमारी का बहाना बनाते हैं,
और पूरी तरह घर पहुंचने से पहले ही वापसी का आरक्षित टिकट दिखाते हैं।
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