माँ सरस्वती वंदना
मित्रोंहरिगीतिका छंद पर एक और प्रयास ,प्रस्तुत है।
संसार से तम दूर कर मां, ज्ञान हमको दीजिये।
मन है कुटिल कपटी हमारे ,दूर अवगुण कीजिये।
मां ज्ञान के भंडार से दो, बूँद हमको दीजिये।
जो भूलकर हैं राह भटके,माँ शरण में लीजिये।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,” प्रेम”
माँ शारदा, माँ वत्सला माँ, उज्ज्वला पद्मासनी।
हे ज्ञान धात्री मातृका हे , वेदमाता पूजनी ।
वीणा सदा बजती रहे मां, ज्ञान चक्षु मिलें हमें।
है प्रार्थना मां से सदा आ,शीष हमको दीजिये।//
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव “प्रेम
सादर।