*”माँ तो बस माँ ही है”*
माँ तो बस माँ ही है”
माँ के चरणों में चंद्रमा मन के देवता और पिता के चरणों में सूर्य गुरु बृहस्पति धन व ज्ञान के देवता कहे जाते हैं …
सृष्टि रचना के आरंभ में माँ शब्द अदभुत अनुभति देता है माँ शब्द के अर्थ -मातृ रूप, जगतजननी, मातेय ,से बोधक है माँ शब्द निकलते ही अंर्तमन में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है एक अदभुत शक्ति मिलती है ।जन्म लेने के पश्चात ही ये एहसास होने लगता है कि माँ कौन है ……? ? हरेक सांसो की धड़कन में प्रेम का बंधन नाता जुड़ जाता है जो प्रीत की डोरी से खींचकर मर्मस्पर्शी एहसास जगा जाता है। ईश्वर ने माँ को बनाकर हमें खूबसूरत तोहफा दिया है देवता भी स्वयं माँ की ममता वात्सल्य को पाने के लिए बालक के रूप धारण कर पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं।
माँ का वात्सल्य भरा प्रेम उनकी उदारता, दयालुता बारिश की उन बूंदों जैसा है जिसमें अमृत टपकता है ऐसा लगता है मानो बरसता ही रहे माँ का स्वाभाविक रूप इतना निर्मल जल की तरह पवित्र होता है जिसे प्रमाणिकता की जरूरत नहीं है। जब बच्चा रोता है उसे भूख लगी होती है या किसी कष्ट में हो, थका हुआ हो, कोई समस्या उत्पन्न हो गई हो तो माँ का सहारा लेकर उनके स्नेहिल प्रेम स्पर्श से ही सब कुछ छू मंतर हो जाता है जो जादुई शक्ति की तरह से काम करती है सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मन शान्त चित्त हो खुश हो जाता है।
माँ का प्यार सागर की अनंत गहराइयों में उमड़ता नीर है जो हमें शीतलता प्रदान करता है जीवन में चाहे गम के बादल मंडरा रहे हो चाहे किसी कार्य में सफलता प्राप्त हुई हो सारे जहान की खुशियाँ माँ के आँचल में आकर सिमट जाती है और हम खुशी से नाच उठते हैं।
माँ ममता की वो छाँव है जिनके कदमों तले जन्नत होती है।सुखद जीवन में नींव का पत्थर है जिसमें संस्कारों की बुनियाद रखी जाती है और उज्ज्वल भविष्य की इमारत खड़ी हुई होती है जीवन का असली निर्माण कार्य मंजिल तय करने तक का सफर पूरा होता है।
माँ केवल जन्मदात्री ही नहीं वरन साक्षात देवी का स्वरूप लेकर आई है जो हमें ममता ,करूणा, उदारशील , दयावान, शौर्यवान,क्षमाशीलता के गुण भी मौजूद हैं।
माँ से खुले दिल से जो भी मांगो या न भी मांगो वो बिना मांगे ही इच्छा पूर्ण कर देती है उंसकी अंतरात्मा जान जाती है हमारी ख़ुशी के लिये अपना तन मन सभी कुछ न्यौछावर कर देती है चाहे उसके लिए कोई भी कुर्बानी देनी पड़े अपनी खुशियों को दांव पर लगाकर बच्चों की ख्वाहिशों को जरूर पूरा करती है।
पूरे जगत संसार में माँ की महिमा का बखान इसलिए किया जाता है क्योंकि माँ के सिवाय दुनिया में कोई नहीं है माँ तो आखिर बस माँ ही है……! ! !
शशिकला व्यास