माँ जैसी थी कभी जो
माँ जैसी थी कभी जो बेहतरीन बेच दी
थी एक मगर करके उसको तीन बेच दी
पुरखों ने अपने खून से सींचा जिसे सदा
प्लाटिंग करके तुमने वो जमीन बेच दी
हमको ही डस रहा है पता जब से ये चला
उस पल ही हमने अपनी आस्तीन बेच दी
साँपों ने सियासत में कदम जब से रख दिया
डरकर के सपेरों ने अपनी बीन बेच दी
नंगे बदन फकीर को देखा जो एक दिन
खुद की कमीज..बोल के आमीन बेच दी