/// माँ जैसा कोई नहीं ///
घर के कोने कोने में बसा एहसास है मां
तेरे भीतर ही ईश्वर का वास है मां।
अंधेरी रात में दिये का उजाला है मां
रेगिस्तान में शीतल जल का प्याला है मां।
तपती धूप में राहत की छाया है मां
मुझ पर रक्षा कवच तेरा साया है मां।
तेरा बोल मिश्री से भी मीठा लगता मां
तेरा स्पर्श फूलों से भी कोमल लगता मां।
तू ईश्वर का मीठा प्रसाद है मां
तेरे हाथों में जादू सा स्वाद है मां।
तू भगवान् की अर्चना पूजा है मां
तुझसा नहीं इस जग में कोई दूजा है मां।
—रंजना माथुर दिनांक 07/10/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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