माँ जन्म दात्री है मेरी
मां जन्म दात्री है मेरी-ये मात शक्ति है मेरी ।।
सूक्ष्म भाव जीवन जन माता –
सृष्टि सृष्टा विश्व विधाता।
स्वर व्यंजन वर्ण की ढेरी ।। मां जन्म दात्री है मेरी …..
शब्द ब्रह्म विज्ञान स्वरूपा-
मां ममतामई अनूपा ।
हिंदी अर्थ घनेरी ।। मां जन्म दात्री है मेरी ….
मातृभाषा लाड़ लड़ाती-
अलंकार रस छंद सजाती ।
सिरमौर आम रस केरी।।मां जन्म दात्री है मेरी …
चिंतन मनन साधना सारी-
भीतर भरी भावना भारी।
विचार बांधे बहुतेरी।। मां जन्म दात्री है मेरी……
मैं संग तू-तू नहीं भाता-
अर्धनारीश्वर नारी नाता।
जग जननी जनमन टेरी ।।मां जन्म दात्री है मेरी ….
देवपुत्र ऋषि ऋण पटता –
मां कर्ज कभी नहीं घटता।
मां कृपा मुक्ति है मेरी ।।मां जन्म दात्री है मेरी….
अचेतन मन जागृत बनाई-
बाहर भीतर रूप सजाई।
प्रकृति पुरुष उदर देरी।। मां जन्म देती है मेरी….
एक दूजे में समाहित होकर-
स्व-स्वरूप संग समाकर ।
ईश जीव भावना भरेरी।।मां जन्म दात्री है मेरी ……
मां अद्वैत आत्मा आकर-
जीवन द्वेत भगवन भाकर।
आत्मा अमिय “आंसू” बहेरी ।।
मां जन्म दात्री है मेरी-ये मात शक्ति है मेरी ।।
एम.पी.झारिया
“आँसू”
इंदिरा कॉलोनी गाडरवारा
ज़िला नरसिंहपुर म.प्र.