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9 Apr 2022 · 1 min read

माँ गौरी से लगी लगन

माँ गौरी से लगी लगन
माँ की छांह रहूँ भवन
माँ ही मुझे संवारेगी
माँ ही राह दिखाएगी

जब खोया अपने को
माँ ने पाना है सिखाया
भीड़ में भूली खुद को
माँ ने स्मृत है कराया
आज भी भटकाव में
माँ ही आ समझाएगी

चाल चलन दुनियां का
उल्टा पुल्टा दुनियां का
मक्कारी दुश्वारियां जहां की
कथनी करनी यहाँ की
जान न पाई मैं अब तक
माँ ही आ कर बताएगी

छल प्रपंच लूट खसोट
अन्तस में छिपी हुई चोट
बड़बोले सृष्टि को बताई
बस अपने में ही इतराई
माँ ही केवल जान पाई
उस माँ ने ही की भरपाई

Language: Hindi
18 Likes · 1 Comment · 407 Views
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