माँ और दर्द का परिचय
लिख देते दर्द को, कहीं दर्ज नहीं होते,
सहती सहलाती पीडा, मर्ज देखे जाते.
किलकारियां गूँजती, घर आँगन
हर कोना, खुशियों से भर जाता.
हर दर्द लिख देता, गर मर्ज जानता.
हर कोई देवता, गर कोई मिटा पाता.
सह जाती है हर माँ, उस खुशी खातिर.
सृष्टि में सृजन के भार से निर्भार होकर.
जब दर्द के मर्ज की पूछताछ करता.
मैं बस इशारे, माँ की तरफ करता और
निर्भार हो जाता…
और यही कहूंगा माँ और दर्द का परिचय एक है
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस