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30 Jan 2023 · 1 min read

महव ए सफ़र ( Mahv E Safar )

महव ए सफ़र –

उनकी चाहत के…. असर में रहते हैं ।
वो नादाँ…. महव ए सफ़र में रहते हैं ।।

हम जानते हैं… अदब की अहमियत ।
हमारे मिसरे.. हमेशा बहर में रहते हैं ।।

वो करते हैं अक्सर अनदेखा हमको ।
शाम ओ सहर जो मेरी नज़र में रहते हैं ।।

इश्क़ को समझ रहे खेल गुड्डे-गुड़ियों का ।
कौन हैं वो ?……..कौनसे दहर में रहते हैं ।।

सबसे छिपा कर रक्ख़ा था “काज़ी ” उनको ।
सिर्फ़ ओ सिर्फ़ मिरे दिलो-जिगर में रहते हैं ।।

©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ीकीक़लम
28/3/2 , अहिल्या पल्टन , इकबाल कालोनी
इंदौर , मध्यप्रदेश

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