महब्बत में ये दिल खोने लगा है
अजब मुझपे नशा होने लगा है
महब्बत में ये दिल खोने लगा है
दिवाना सुख में तेरे हँस रहा जो
तुम्हारे दर्द में रोने लगा है
कई रातों से जागा था परिन्दा
सुहाने ख़्वाब में सोने लगा है
नई दुनिया बसाने की है हसरत
वफ़ा के बीज दिल बोने लगा है
बही गंगा महब्बत की तभी से
दिवाना पाप सब धोने लगा है