महत्व गीतों का
महत्व गीतों का
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निरसता एकरसता का जो, पल दो पल में क्षरण करे|
गीत वहीं जो हर्ष बोध का, मन भीतर ही वरण करे||
जीवन की अनुभूति व्यञ्जना,
है उर का उदगार यहीं|
स्वच्छ रहे तन-मन का दर्पण,
सुलभ सरल उपगार यहीं|
नहीं समुच्चय शब्दों का कोरा,
माटी की है महक यहाँ|
पंछी जो नभ कलरव करते,
दृश्यमान वह चहक यहाँ|
नव उर्जा संचार करे यह, संतापों का हरण करे|
गीत वहीं जो हर्ष बोध का, मन भीतर ही वरण करे||
भावों का नैसर्गिक थिरकन,
और मधुरता शब्दों की|
गंगा की पावनता इसमें,
है समरसता शब्दों की|
संबन्धों का नीव ठोस यह,
शुभ- मंगल का भान यहीं|
लाड,भक्ति,अनुराग का द्योतक,
ईश्वर का वरदान यहीं|
भावों की पावन अभिव्यक्ति, जिसका भव अनुसरण करे|
गीत वहीं जो हर्ष बोध का, मन भीतर ही वरण करे||
सुख में दुख में सहज भाव से,
जो स्थिरता दे सबको|
नस- नस में भर ओज भाव से,
यक्ष विरता दे सबको|
कुण्ठा, चिन्तन, संतापो का,
उत्तम एक दवाई है|
नहीं कसैला औषधि जैसा,
बिल्कुल मधुर मिठाई है|
व्यथित कभी नर रहे नहीं वह, जो इसका अनुकरण करे|
गीत वहीं जो हर्ष बोध का, मन भीतर ही वरण करे||
✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’