*महक बनकर वो जीवन में, गुलाबों की तरह आए (मुक्तक)*
महक बनकर वो जीवन में, गुलाबों की तरह आए (मुक्तक)
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महक बनकर वो जीवन में, गुलाबों की तरह आए
खुशी से एक वह भरपूर, ख्वाबों की तरह आए
न मकसद था तनिक जीवन का, वो जब तक नहीं आए
वो आए तो सवालों के, जवाबों की तरह आए
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451