” ————————————————– मस्ती का ऐहसास ” !!
आस लगाए बैठी जानो , अधखिले कंवल हैं हाथ !
चेहरे पर मुस्कान सजी औ , आंखों में फरियाद !!
छुप छुप कर मिलते थे पहले , डरते कोलाहल से !
इसी किनारे बैठे हमने , नये रचे इतिहास !!
पायल है खामोश भले ही , छन छन ना है भूली !
यादों के झोंके करवाते , मस्ती का ऐहसास !!
विश्वासों पर कायम रिश्ता , डिगना बड़ा कठिन है !
ठोस धरातल पर रख दी है , प्यार भरी बुनियाद !!
परछाई से डर लगता है , कभी मोहती मन को !
मधुबनी श्वासों पर बुनते , हम जीने के अंदाज़ !!
मदिर मदिर पल लगे सुहाने , साथ तुम्हारा पाकर !
पँख लगाकर हवा में उड़ लूं , ज्यों पंछी हो आज़ाद !!
दिवास्वप्न तुमने दिखलायें , चाह जगाई ऐसी !
साथ अगर तुम ना दे पाए , टूट जाएगी आस !!
बृज व्यास