मरासिम
मरासिम जब नासूर बन जाए तो उसे
तोड़ देना ही अच्छा ,
जी का जंजाल बन जाए तो उसे
भूल जाना ही अच्छा ,
इक तरफा अहद -ए- वफ़ा का निबाह ,
जज़्बा-ए- दिल का वो निसाब ,
जब इल्तिज़ाम बनकर रह जाए ,
तो उसे छोड़ देना ही अच्छा।
मरासिम जब नासूर बन जाए तो उसे
तोड़ देना ही अच्छा ,
जी का जंजाल बन जाए तो उसे
भूल जाना ही अच्छा ,
इक तरफा अहद -ए- वफ़ा का निबाह ,
जज़्बा-ए- दिल का वो निसाब ,
जब इल्तिज़ाम बनकर रह जाए ,
तो उसे छोड़ देना ही अच्छा।