मयखाना
अपने मय में खोया हुआ
चला जा रहा वो मयखाना
मयखाना में मय ना मिला
मदिरा पिया हुई बड़ी शाना
लेकिन जब मय ने देखा
महबूब के प्यार का पैमाना
काबू खुद पर कर ना सका
वो खुद पर बरबस ही शर्माना
अपने मय में क्यू इतना खोया रहा
मुझसे भी बेहतर हैं यँहा दिल लगाना
ना बादा में इतना नशा
जितना नशा देख के आता
मेरे महबूब के होठों पे मुश्काना!!
®आकिब जावेद