ममता की मूरत ‘माँ’
सुबह-सुबह जब आंख खुली,
माँ की ममता की ओस पड़ी ।…(१)
आंखों से ओझल होते ही,
माँ नैनो से खोज चली ।…(२)
आँचल के साये से दूर जाते,
सुध-बुध माँ अब खोने लगी ।…(३)
नैनों से वो रो चली,
आँचल को अपने भिगो रही ।..(४)
ममता की मूरत बच्चों की सूरत,
देखने को वह दूर खड़ी ।…(५)
कैसे पुकारे ना जा प्यारे ,
चमक रही पुतली के तारे ।..(६)
माँ ;माँ मेरी हो तुम ‘माँ’ ,
रहूँ मैं तेरे निकट सहारे ।…(७)
#बुद्ध प्रकाश #