मन मे गम के ठिकाने
* मन मे गम के ठिकाने *
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मन में गम के ठिकाने हैं,
खुश होने को बहाने हैं।
जो भी पल थे गुजारे वो,
किस्से वो सब सुनाने हैं।
सपने संजोये सुनहरे थे,
अब तो बीते जमाने है।
यादों में तेरी हमारे जो,
जख्म गहरे दिखाने हैं।
सीधे लगते सदा आये,
नजरों के ही निशाने हैं।
मनसीरत देखता आया,
कच्छे दिन ही पुराने हैं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)