मन बस्या राम
मन बस्या राम
राम नाम ने रटता रेवो, मिटजा सगळी पीर।
राम करम फल उजळा , राखो मन में धीर।।
भली सोच राखो नित, राम बसै घट-घट आस।
जुगती रैवे यूं बणी ,कण-कण में राम निवास।।
बणी पीडा मिट जावे ,उजळी हुवै परभात।
आदि-अंत जिनगाणी, मिनख समझ लो बात
भवसागर हुवै पार , मिले सुरग रो धाम।।
सुफल करें सब काम ने ,जिण मन बस्या राम।
©हरीश सुवासिया
देवली कलां (पाली