मन के जल से भरे पोखर में अब
कल,
आज और
कल
आजकल हर दिन
हर रात
हर समय
सब कुछ जो हो रहा घटित
एक सा है
मेरा मन हो गया है
अब स्थिर
इसके जल से भरे पोखर में अब
इसमें कोई फूल खिले या
मारे कोई कंकड़
इसे कोई फर्क नहीं पड़ता
यह सुनता है अब अपने
अन्तर्मन की
न कि इसकी बाहरी सतह पर
उठ रही
गिर रही
जल की तरंगों की।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001