*मन की पीड़ा मत कहो, जाकर हर घर-द्वार (कुंडलिया)*
मन की पीड़ा मत कहो, जाकर हर घर-द्वार (कुंडलिया)
मन की पीड़ा मत कहो, जाकर हर घर-द्वार
हॅंसी उड़ेगी लोक में, होगा कब उपचार
होगा कब उपचार, व्यर्थ क्या रूदन ढोना
सक्षम व्यक्ति विशेष, जानता हल क्या होना
कहते रवि कविराय, समस्या यह जन-जन की
किससे खोले भेद, कहे पीड़ा निज मन की
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451