मन एक उदासी का घर
ऐसा क्या देख लिया कि
मन एक उदासी का घर बन गया
कुछ बताते भी नहीं
घड़ी भर को
मुस्कुराते भी नहीं
आंसू भी अपनी आंखों से
बहाते नहीं
कोई राज है
छिपाने की कोशिश कर तो
रहे हो बहुत पर
छिपा पाते नहीं
कुछ तो कहो
मैं वादा करती हूं कि
आगे किसी से कुछ न कहूंगी
कुछ तो अपने दिल का बोझ
हल्का करो
नहीं तो
बस बहुत हुआ
अब मैं भी
संग संग तुम्हारे
रो पडूंगी।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001