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6 Apr 2022 · 1 min read

मनहरण घनाक्षरी

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मनहरण घनाक्षरी
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मात स्कंदमाता तेरी छबि मनभाबन है,
देब सेनापति की तू मात माँ कहाई‌ है ।
इच्छा, ज्ञान क्रिया की समागम है शक्ति है तू,
सिद्धि की प्रदाता तेरी अति सकलाई है ।।
षटमुख बालरूप गोद में किलोल करै ,
मुद्रा कमलासन पै सांत चित भाई है ।
लाज रखियो री मात! नेह की नजर कर ,
जगमग ज्योति तेरी ‘ज्योति’ नै जराई है ।।
*
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***
🍃🍃🍃

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