*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
04/09/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
पूछा मुझे बहारों ने, रहते हो तुम अब कहाँ, अब कैसे हैं हाल।
कहाँ गुजरती हैं रातें, दिन कैसे कटता सखे, किसकी ले ली ढाल।।
सत्य अगर सुन पाओगे, सुन लो मेरी बात तुम, करता सदा कमाल।
गाँव परिश्रम खेत जिला, संग पसीने का मिला, नाम मदनगोपाल।।
सच्ची बातें कहने से, क्यों डरते हो यार तुम, कह दो सीना ठोक।
कुंदन बनना है तुमको, मुश्किल से डरना नहीं, दे दो भट्टी झोक।।
दिखता है वह सत्य नहीं, कडुआ है जीवन बहुत, भाले की है नोक।
पथबाधा तो आयेंगे, कड़ी परीक्षा की घड़ी, बढ़ आगे मत रोक।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)