*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
23/11/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
महज औपचारिकता है, अब तो इस संबंध में, ढीला है हर बंध।
बातों मे मिठास गायब, नहीं रही कोई कसक, गंध बचे हैं कंध।
अंजाने से लगते हो, लगे अपरिचित चेहरा, दोनों ही हैं अंध।
कहाँ कसावट खोई है, कब सुधरेंगीं रौनकें, चीख रहा है संध।।
जाने कैसी हवा चली, आपस में है दूरियाँ, कम हो गई मिठास।
जो कल तक माधुर्य रहा, गायब सारे हो गये, बढ़ने लगी खटास।।
पूर्व घटी सारी बातें, कचोटते अंतःकरण, बेसुर हर निःश्वास।
आओ अब भी यत्न करें, बचे रहे संबंध ये, दोनों करे कयास।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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