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19 Nov 2024 · 1 min read

*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
19/11/2024

मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl

ध्रुवीकरण है आवश्यक, सर्व मतान्तर एक हो, रहे संघ संलग्न।
फूट विविधताओं में है, यह विवाद का है विषय, सब अपने में मग्न।।
सिर्फ दिखावा यहाँ सभी, सब अपने रथ हाँकते, अंतः सुलगे अग्न।
जब विचार टकराते हैं, दंगे होते देश में, सब हो जाते नग्न।।

कहने की ही बात रही, भारतवासी एक है, भारत देश अखण्ड।
कितने टुकड़े बाँट दिये, नहीं राष्ट्र भाषा यहाँ, भिन्न जाति के दण्ड।।
जाति धर्म खाई गहरी, ये समतल होगा नहीं, है मतभेद प्रचण्ड।
रोटियाँ राजनैतिक ही, सभी पकाकर खा रहे, पलते निजी घमण्ड।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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