*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
06/11/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
अगर सुता संस्कारित हो, कुल गौरव में वृद्धि हो, बढ़े जनक का मान।
रहे सुशिक्षित जो नैहर, करती है शुभ आचरण, बनती है प्रज्ञान।।
घर की होती किलकारी, हँसमुख हो वातावरण, दुख का करे निदान।
सबको प्यारी लगती है, मातु पिता की लाडली, सुखमय करे जहान।।
जिस घर में पले बेटियाँ, स्वर्गिक हर आनंद है, लक्ष्मी करती वास।
इन्हें सुसंस्कृत करना ही, पीहर का कर्त्तव्य है, कुल को करे उजास।।
धर्म परायण जो होती, सम्मानित हो मायका, हर पल सुख उल्लास।
इनको अनुकूलता मिले, हर घर हर परिवार में, सब मिल करें कयास।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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