*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
04/11/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
बच्चों का कोना रखना, जहाँ बनो बच्चा कभी, करो शरारत खूब।
अपनी जिज्ञासा पालो, पूछो इस संसार से, जो रहते हैं ऊब।।
जब तक बचपन जिंदा है, है सारी रंगीनियां, है सारे मनसूब।
खोज करो उन प्रश्नों का, पाओगे उत्तर सही, ओ मेरे महबूब।।
यही सरलता स्थिर करना, सदा सहज रहना सजग, बन जाओगे सिद्ध।
भरना ऊँची उड़ान तुम, इस अनंत आकाश में, नजरें रखना गिद्ध।।
सीखो समझो जानो सब, विशेषता हर ज्ञान में, कोई नहीं निषिद्ध।
बनते जो जिज्ञासु यहाँ, वही पूज्य संसार में, ज्ञान विधा संविद्ध।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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