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23 Oct 2024 · 1 min read

*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
23/10/2024

मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl

मेरी छवि अब अलग रहे, प्रतियोगिता से दूर हूँ, मेरे अपने ध्येय।
भीड़ छोड़कर चलता हूँ, प्रिय निश्चित उद्देश्य पर अब तक सब अज्ञेय।।
कभी नहीं छू सकते हो, मैं प्रकाश की तेज गति, मैं ही हूँ आग्नेय।
हरा सके कोई मुझसे, है किसमें यह हौसला, नाम पड़ा अविजेय।।

कभी किसी ने सोचा हो, उससे आगे मैं खड़ा, सबसे ऊँची सोच।
जो अब तक से हुआ नहीं, उसी कार्य का लक्ष्य है, नहीं तनिक संकोच।।
अपने सब पाथेय रचूँ, मुझको जानो युग पुरुष, मैं ही एक अपोच।
लक्ष्य प्राप्त से पहले तक, मेरे इस उत्साह पर, आये नहीं खरोच।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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