*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
21/10/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
अनपढ़ से भी सीखा है, बड़े ज्ञान की बात यह, करिए कर्म महान।
खेतों में बीज डालकर, सतत कर्म करता दिखे, थकता नहीं किसान।।
रखरखाव करता रहता, लड़कर हर जलवायु से, तब उपजाता धान।
आज परिश्रम जब करता, सुख भविष्य देता उसे, कहलाता सुजान।।
अगर पुत्र नालायक है, उचित मान देता नहीं, भूल चुका संस्कार।
तो यह निश्चित जान अभी, गलत हुई है परवरिश, सीखा दुर्व्यवहार।।
उसके आने से पहले, अपने को जाँचा नहीं, तुम ही जिम्मेदार।
अब पछतावा होता है, मर जाना भी बेहतर, देख रहा संसार।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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