Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Oct 2024 · 1 min read

*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
17/10/2024

मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl

जीने की रही लालसा, कई अधूरे कार्य थे, करना था सम्पन्न।
कल के चक्कर में छूटा, महा नीच है सोचता, पर अब मरणासन्न।।
पराक्रमी मैं कर लूँगा, बायें हाथों से इसे, काल लिया आच्छन्न।
भोग मोहवश मैं भूला, कर लूँ पहले पूर्ण तब, खाऊँगा मैं अन्न।।

निजी भेद मत कहना तू, कभी भरोसा मत करो, झूठे सब अपनत्व।
आज मित्र जो भी बनते, भेद तुम्हारा जानते, लेते हैं शिष्यत्व।।
स्वार्थ पूर्ण जब भी होगा, कर लेंगे वो शत्रुता, दिखलायें वीरत्व।
सत्य यही जीवनशैली, जिसने है अपना लिया, प्राप्त किया बुद्धत्व।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
━━✧❂✧━━✧❂✧━━✧❂✧━━

42 Views

You may also like these posts

मोहब्बत का मेरी, उसने यूं भरोसा कर लिया।
मोहब्बत का मेरी, उसने यूं भरोसा कर लिया।
इ. प्रेम नवोदयन
धरा प्रकृति माता का रूप
धरा प्रकृति माता का रूप
Buddha Prakash
तुम भी तो आजकल हमको चाहते हो
तुम भी तो आजकल हमको चाहते हो
Madhuyanka Raj
sp51 युग के हर दौर में
sp51 युग के हर दौर में
Manoj Shrivastava
तेरे होने से ही तो घर, घर है
तेरे होने से ही तो घर, घर है
Dr Archana Gupta
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
मुक्तक 3
मुक्तक 3
SURYA PRAKASH SHARMA
स्नेह का बंधन
स्नेह का बंधन
Dr.Priya Soni Khare
हम किसी का वाह्य स्वरूप ही देख पाते...
हम किसी का वाह्य स्वरूप ही देख पाते...
Ajit Kumar "Karn"
"मोहि मन भावै स्नेह की बोली"
राकेश चौरसिया
धर्मदण्ड
धर्मदण्ड
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
ये क्या से क्या होती जा रही?
ये क्या से क्या होती जा रही?
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
2567.पूर्णिका
2567.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तुम्हारे इश्क़ की तड़प जब से लगी है,
तुम्हारे इश्क़ की तड़प जब से लगी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" मेरा प्यार "
DrLakshman Jha Parimal
शेर
शेर
Abhishek Soni
जबसे उनको रकीब माना है।
जबसे उनको रकीब माना है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
पर्यावरण संरक्षण का नारा
पर्यावरण संरक्षण का नारा
Sudhir srivastava
हिन्दुस्तानी है हम
हिन्दुस्तानी है हम
Swami Ganganiya
कभी-कभी ऐसा लगता है
कभी-कभी ऐसा लगता है
Suryakant Dwivedi
नन्ही परी और घमंडी बिल्ली मिनी
नन्ही परी और घमंडी बिल्ली मिनी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
किरत  कुंवरा  आपरी , इळ  मांहे  अखियात।
किरत कुंवरा आपरी , इळ मांहे अखियात।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
” ये आसमां बुलाती है “
” ये आसमां बुलाती है “
ज्योति
"नन्हे" ने इक पौधा लाया,
Priya Maithil
पटाक्षेप
पटाक्षेप
इंजी. संजय श्रीवास्तव
"धरती की कोख में"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
गणतंत्र के मूल मंत्र की,हम अकसर अनदेखी करते हैं।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जल्दबाजी में कई बार ‘जलेबियां' बंट जाती है !
जल्दबाजी में कई बार ‘जलेबियां' बंट जाती है !
सुशील कुमार 'नवीन'
तुम भी पत्थर
तुम भी पत्थर
shabina. Naaz
Loading...