*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
13/10/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
करने होंगे प्रयास भी, मंजिल छूने के लिए, तू ज्यादा मत सोच।
कार्य अभी प्रारंभ करो, अब मुहुर्त देखो नहीं, क्या करना संकोच।।
प्रतियोगी हैं यहाँ अधिक, नहीं पहुंचने चाहिए, ले ले उन्हें दबोच।
बाधाएँ क्या रोकेंगी, आगे बढ़कर लक्ष्य के, अपने हिस्से नोच।।
अब इतिहास बदल डालो, समय प्रतीक्षा कर रहा, सुनो विजय का गान।
आलस छोड़ो हुआ बहुत, तज दो इस आराम को, रचो अमरता तान।।
अपनी हो कोई भी छबि, लोग हमें कहते मिलें, बढ़ा दिया सम्मान।
मान प्रतिष्ठा यहाँ बढ़े, दुनिया ये चर्चा करे, बना लिया पहचान।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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