*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
11/10/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
जिनके लक्ष्य बड़े होते, वो घबराते ही नहीं, जब हो छोटी बात।
उनके भाग्य उदय होते, जो जागा इंसान है, वही जागते रात।।
कार्य जल्द पूरा करना, कड़े परिश्रम से सदा, मिलती है सौगात।
उनको परास्त कर ले जो, कहीं नहीं वो सूरमा, किसकी है औकात।।
मैं तो बहता पानी हूँ, कई मोड़ मिलते मुझे, आगे बढ़ना काम।
सागर मेरी मंजिल से, यूँ तो बहकाते बहुत, इन सबसे उपराम।।
मेरा लक्ष्य सुनिश्चित है, नहीं सहारा चाहिए, देता जल बेदाम।
मेरा जीवन सार्थक है, परोपकारी भावना, नहीं चाहता नाम।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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