*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
08/10/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
चलो समय के साथ सदा, पीछे मत रहना कभी, खो जाओगे यार।
पकड़ समय को नित्य चलो, तू भी अब गतिमान हो, पुख्ता करो विचार।।
हटे समय की धार अगर, कभी नहीं इस धार के, तुम पाओगे पार।
जो भी आगे हैं तुमसे, पछाड़ना चाहो अगर, तीव्र करो रफ्तार।।
समय किसी का मित्र नहीं, इसे बैर मत ठानना, करो सदा सम्मान।
परख गया है समय तुम्हें, तुम तो लापरवाह हो, बढ़े कहाँ पर शान।
समय गवाही मनुष्य का, कौन कहाँ कितना सफल, किसको लगी थकान।
हे प्रमाद प्रिय मानव तू, पुकारता तुझको समय, अब तो बन प्रज्ञान।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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