*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
06/10/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
आँचल छोड़ो अतीत का, वर्तमान के साथ चल, तेरा यही मितान।
शुरूआत कर आज अभी, जो लगता अत्यंत शुभ, बनकर क्षमतावान।।
बीती यादें कंटक होते, आगे की ही सोच नित, करना अनुसंधान।
कर्म श्रेष्ठ करना तुझको, उदाहरण बनना अभी, तब होगी पहचान।।
परेशान जब समय करे, तब बंदे महसूस कर, कठिन परीक्षा दौर।
अपने ही तुझे डराते हैं, कहे निराशा के कथन, इस पर करना गौर।
लक्ष्य जुनूनी बन रहना, पाँव तले आयें सभी, क्या दिल्ली लाहौर।।
हिम्मत मत कभी हारना, लिखना ही है भाग्य में, मैं ही हूँ सिरमौर।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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