मध्ययमवर्ग
मध्यवर्ग के खाँचे
कसावट भरे होते हैं
शायद होती है
कुछ अधिक ज़िन्दगी भी
बचता है वो हमेशा
उछलकर खाँचो से
बाहर आने से
नैतिकता और उसूल
रखता है पकडकर
सपने देखता है
नीची उडानो का
साहित्य,सन्गीत और
विचारो की
निकलती है नदियाँ
यही से
सीना तान कर चलता है
क्रान्ति की ज़मीन पर
भरा होता है
सम्भावनाओं से हमेशा
ये मध्य वर्ग भी ना
अजीब होता है
है ना ☺