मध्यप्रदेश महिमा
मध्यप्रदेश में रहता हूँ ।
गुण आज उसी के गाता हूँ ।
मातु नर्मदा के तट वासी।
कमी न होती जल धन राशी।
चंबल की बहती जल धारा ।
क्षिप्रा तट है सबसे न्यारा।।
विंध्याचल सतपुड़ा मनोहर।
सिंह बाघ मिल रहे सहोदर।।
सबसे सुंदर मध्य प्रदेशा।
बीचों बीच बसा यह देशा।।
नदी नर्मदा का सुख पाता ।
धार्मिक आस्था जग फैलाता।
महाकाल का सुंदर धामा ।
जग प्रसिद्ध उज्जैनी नामा।।
शिव शंकर पचमढी विराजे।
प्रकृति छटा मनोहरी साजे।।
धुआंधार का घाट सुहाना ।
भेड़ाघाट महत्व सब जाना।
ऋषि जबाल की यह तप भूमी ।
नाम जबलपुर संगम धूनी ।।
नरसिंह रूप लिया अवतारा।
नरसिंहपुर लगता अति प्यारा ।।
ब्रह्म देव कीन्हा तप भारी।
माई नर्मदा शोभा न्यारी।।
खजुराहो मंदिर जग जाहिर ।
चित्र कला में भारत माहिर ।।
कौरव-पांड़व वंश निशानी।
भीम बैठका लिखी कहानी ।
मध्य प्रदेश पावन प्रदेशा।
हृदय क्षेत्र यह भारत देशा।।
हर मौसम में लगे सुहाना ।
अन्न फूल फल उपजें नाना।।
काली पीली दोमट मिट्टी ।
उपजाऊॅ धरती सब पट्टी ।।
वनहि भूमि का क्षेत्र विशाला।
वन्य जीव संरक्षण शाला ।।
शेर सियार बाघ अरु चीता।
हाथी बंदर हिरण सुभीता।।
खनिज संपदा है बहुतायक।
हीरा कोला का उत्पादक।।
नदी नर्मदा क्षीप्रा चंबल ।
जल भंडार देश में अब्बल।।
बिजली उत्पादक इक यंत्रा ।
जग प्रसिद्ध भारत संयंत्रा।।
राजेश कौरव सुमित्र