#मदिरा_पीकर_आये_स्वामी, #नर्कलोक_में_जाओगे|
#मदिरा_पीकर_आये_स्वामी, #नर्कलोक_में_जाओगे|
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मदिरा पीकर आये स्वामी, नर्कलोक में जाओगे|
होंगे दूत भयानक यम के, दण्ड कठिन तुम पाओगे||
मद्यपान यह कलुष कर्म है,
फिर भी तुम रहते हो रत|
दर्पण में प्रतिबिम्ब निहारो,
बना लिया क्या अपना गत|
धर्म – कर्म से रहे विरत तुम,
किल्विष पूर्ण चरित्र हुआ|
दो घूँट जैसे भीतर जाता,
कहते गात पवित्र हुआ|
खेत बीका खलिहान बीका अब, क्या बेचोगे खाओगे?
मदिरा पीकर आये स्वामी, नर्कलोक में जाओगे||
तुम कहती हो मदिरा पीकर,
नर्कलोक में जाऊंगा|
मद्यपान से बना पातकी,
दण्ड कठिन मैं पाऊंगा|
पर बोलो जो बेच रहा क्या,
वह भी दोजख जायेगा?
मिला मुझे उपहार वहाँ जो,
वह भी उतना पायेगा?
यदि जो ऐसा हो जाता है, फिर क्या तुम समझाओगे|
मदिरा पीकर आये स्वामी, नर्कलोक में जाओगे||
आसव का विक्रेता स्वामी,
वह भी तो पातक होगा|
कुम्भीपाक गामी होगा वह,
दुरित कर्म घातक होगा|
जो जैसा करता पाता है,
होता कोई भेद नहीं|
वह पायेगा सबकुछ वैसा,
रखना मन में खेद नहीं|
किन्तु प्रश्न जो आप किये हो, आशय क्या बतलाओगे|
मदिरा पीकर आये स्वामी, नर्कलोक में जाओगे||
यहाँ रहें या वहाँ रहें हम,
फर्क हमें क्या पड़ना है|
क्रेता – विक्रेता जब होंगे,
सङ्ग मजे ही करना है|
कमी एक बस वहाँ खलेगी,
चखना वाला भी जाता|
सब मिलकर ही मौज मनाते,
झूम – झूम कर मैं गाता|
माथा थाम कहा पत्नी ने, कबतक हमें सताओगे|
मदिरा पीकर आये स्वामी, नर्क लोक में जाओगे||
✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’