“मत लड़ाओ भाई -भाई को “
( सन्देश )
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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आके हमारे कानों में
किसीने धीरे से कहा
आखिर कब तक तू यूँ
लेटे रहोगे दिन भर ?
क्या तुम्हें कोई खबर
नहीं कि क्या हो गया
हमारे खून ने ही हमको
कर दिया जर जर !!
होली -रमजान ,दीवाली-
ईद हमारे पर्व थे ,
एक ही आँगन में
सदा हम खेला करते थे !
नफरत की आंधी भला
किसने चलाई यहाँ प्यार
जहाँ एक दुसरे को
ही किया करते थे !!
देश हमरा सभी
लोंगों के दिलों में बसता हैं
इसकी रक्षा कोई
एक कौम नहीं करता है !
हर धर्म हर जाति हर
मझहब के ह्रदयों में
वर्षों से हिंदुस्तानिओं
के दिलों में रहता है !!
अपने गुनाहों को
छुपाने के लिए एक दुसरे पर
हम निरंतरआक्रमण
करते रहते हैं !
हम ठीक हैं देश भक्त हैं
दुसरे तो देशद्रोही
देश को बेचने का
आरोप सब दिन गढते हैं !!
सुना है हमने कि
आपकी लेखनी में दम है
आप इनको भी सही
रास्ता दिखा सकते हैं !
अब आप अपनी नींद से
जग जाइये तो सही
हुनर हैआप में
इन्हें एहसास
करा सकते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
एस ० पी ० कॉलेज रोड
नागपथ
दुमका
झारखण्ड
भारत