मत पढना
पढ – लिख सगरो उम्र गई ।
मिला न मनका मीत ।।
गुण सीख कर शहर गया ।
बने जीवन अमृत ।।
बिन पढे लिखे हुए सफल ।
तुलसीदास कबीर ।।
अनुभवन शिक्षा से बङी ।
कह गए नंद लकीर ।।