मताधिकार
दो पक्षों में संवाद होने चाहिए,
गर छिड़े विवाद, रुक जायें संवाद
तीसरा समझदार काजी होना चाहिए,
गर काजी भी हो पक्षपातपूर्ण,
तो सही समय पर सही जगह
गुप्त मतदान मे वोट की मार चाहिए,
समस्या का समाधान है.एक मताधिकार
इसे बिन किसी बहकावे जरूर इस्तेमाल करना चाहिए.
तुम्हारी एक वोट का सही प्रयोग,
हर कलह क्लेश मिटा सकता है..
हर अन्यायी को जेल शलाका के पिंजरे तक ले जायेगा,
हर जनमानस व्यवाहारिक जीवन में उल्हास से भर जायेगा,
हो कलह में मूल तुम, सुलह के मार्ग भी तुम से होकर आयेगा.
है गर स्वप्निल जीवव, धोखे ही खायेगा.
है गर धार्मिक उन्माद, है संविधान वैद्य.
करता नहीं संकोच, मर्ज का उन्मूलक है.