Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2023 · 1 min read

*मतदान-त्यौहार 【कुंडलिया】*

मतदान-त्यौहार 【कुंडलिया】
■■■■■■■■■■■■■■■■■
जाएँ सब जन हर्ष से ,करने को मतदान
समझें ज्यों त्यौहार है ,यह राष्ट्रीय महान
यह राष्ट्रीय महान , वोट कर्तव्य हमारा
चुनिएगा सरकार ,गुप्त निज मत के द्वारा
कहते रवि कविराय ,लोभ में कभी न आएँ
निर्भय सीना तान , डालने मत को जाएँ
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

109 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
-- मैं --
-- मैं --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
बावन यही हैं वर्ण हमारे
बावन यही हैं वर्ण हमारे
Jatashankar Prajapati
*खुलकर ताली से करें, प्रोत्साहित सौ बार (कुंडलिया)*
*खुलकर ताली से करें, प्रोत्साहित सौ बार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
साईकिल दिवस
साईकिल दिवस
Neeraj Agarwal
आँखों   पर   ऐनक   चढ़ा   है, और  बुद्धि  कुंद  है।
आँखों पर ऐनक चढ़ा है, और बुद्धि कुंद है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
"तापमान"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
Bhupendra Rawat
प्रीति क्या है मुझे तुम बताओ जरा
प्रीति क्या है मुझे तुम बताओ जरा
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
💐अज्ञात के प्रति-119💐
💐अज्ञात के प्रति-119💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हीर मात्रिक छंद
हीर मात्रिक छंद
Subhash Singhai
जिसे ये पता ही नहीं क्या मोहब्बत
जिसे ये पता ही नहीं क्या मोहब्बत
Ranjana Verma
मुझे वो सब दिखाई देता है ,
मुझे वो सब दिखाई देता है ,
Manoj Mahato
'तिमिर पर ज्योति'🪔🪔
'तिमिर पर ज्योति'🪔🪔
पंकज कुमार कर्ण
प्यार का बँटवारा
प्यार का बँटवारा
Rajni kapoor
विचार सरिता
विचार सरिता
Shyam Sundar Subramanian
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
2495.पूर्णिका
2495.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
अंसार एटवी
कतौता
कतौता
डॉ० रोहित कौशिक
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
माँ मेरी जादूगर थी,
माँ मेरी जादूगर थी,
Shweta Soni
वो मुझ को
वो मुझ को "दिल" " ज़िगर" "जान" सब बोलती है मुर्शद
Vishal babu (vishu)
"शर्म मुझे आती है खुद पर, आखिर हम क्यों मजदूर हुए"
Anand Kumar
जिंदगी जीने का सबका अलग सपना
जिंदगी जीने का सबका अलग सपना
कवि दीपक बवेजा
"थामता है मिरी उंगली मेरा माज़ी जब भी।
*Author प्रणय प्रभात*
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
आर.एस. 'प्रीतम'
आओ कभी स्वप्न में मेरे ,मां मैं दर्शन कर लूं तेरे।।
आओ कभी स्वप्न में मेरे ,मां मैं दर्शन कर लूं तेरे।।
SATPAL CHAUHAN
लगाव
लगाव
Arvina
कितना भी दे  ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
कितना भी दे ज़िन्दगी, मन से रहें फ़कीर
Dr Archana Gupta
13, हिन्दी- दिवस
13, हिन्दी- दिवस
Dr Shweta sood
Loading...