*मठ में माया* 【 *कुंडलिया* 】
मठ में माया 【 कुंडलिया 】
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माया लो जाकर बसी ,मठ के भीतर व्याप्त
तुच्छ गृहस्थी देह को , मठाधीश अब प्राप्त
मठाधीश अब प्राप्त ,रमा धन-दौलत-मद में
साजिश रचते शिष्य ,चाहतें सबकी पद में
कहते रवि कविराय ,घोर कलयुग यह आया
घर से ज्यादा आज , मिलेगी मठ में माया
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451