Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2020 · 3 min read

प्रवासी मजदूरों की मजबूरी

असमंजस की स्थिति।
कोरोना महामारी की परिस्थिति।।
लॉक डाउन अचानक।
जी घबराया धक धक।।
काम धंधा सब बंद।
रोजी रोटी का चल पड़ा मन मे अंतर्द्वंद्व।
मेहनत कर खाने वाले।
फिर कब चुप बैठने वाले।।
घर से दूर ।
हो गए मजबूर।।
घर गांव की याद आई।
खाली बैठे बहुत सताई।।
आखिर पैकटों पर कब तक भरोषा।
कभी भी हो सकता धोखा।
होता भी आया है।
जब जब चुनाव आया है।
खूब खिलाया पिलाया है।।
पैरों पे गिरा जो अब खुद गिराया है।
फिर गरीब मजदूर कब याद आया है।।
लॉक डाउन में घर पे रहना है।
घर से बाहर न निकलना है।।
घर तो बन्द हो चुका है।
कारखाना जहाँ मजदूर रुका है।।
रोजी रोटी बन्द।
उठता अंतर्द्वंद्व।।
ट्रेन बंद, बस बंद।।
भूखे-प्यासे कब तक रहते नजरबंद।।
आखिर किया निश्चय।
अपने पैरों पर निर्भय।।
चल दिए घर की ओर।
इस ओर से उस छोर।।
हजारों किलोमीटर।
लेकर बोरिया बिस्तर।।
रास्ते की रोटी, टूटे-फूटे सामान।
भूख से बचते बचाते अपनी जान।।
पैदल नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ।
पकड़ कर पुचकार कर हाथ।।
घिसट गई चप्पलें।
कहीं डंडो से भी हमले।।
पड़ गए पैरों में छाले।
फिर भी लगा कर मुंह पर ताले।।
चलते रहे बस चलते रहे।
थके मांदे धूप में जलते रहे।।
दो-चार दिन के भूखे प्यासे।
लेकिन जिंदा रख हौसलों की सांसें।।
अब नहीं आएंगे दोबारा शहर।
जा रहे हैं अब अपने गांव घर।।
कहीं मुर्गा भी बनना पड़ा।
कहीं पुलिस ने कराया घंटों खड़ा।।
भूख से बिलखते बच्चे।
मां के सीने से चिपके मन के सच्चे।।
आग बरसाता दोपहर।
लेकिन पहुंचना जो घर।।
लू-लपट के संग चलते रहे।
नंगे पैर सड़क पर रगड़ते रहे।।
घिसे पैरोँ की एड़ियां तलवे।
चलते-चलते हाइवे का रनवे।।
रक्त बहाते पांवों के छाले।
मगर चलते रहे ये भोले भाले।।
न इन्होंने नारे लगाए।
न किसी पर पत्थर बरसाए।।
बस चलते रहे पेट दबाए।
बच्चों को सीने से लगाये।।
छालों से खून बह रहा।
दर्द की कहानी कह रहा।।
इस पर भी कहीं ट्रक कहीं ट्राला।
अचानक पीछे से कुचल डाला।।
तो कहीं चढ़ गई रेल।
इस पर भी सियासत का खेल।।
क्यों आये पटरी पर, सड़क पर रहते।
जिसकी जहाँ पर जगह, वहीं पर मरते।।
रेल पर रोटी, रोड पर भी मिलती।
पता नहीं किसकी गलती।
सच वो सोच रहे होंगे।
जहां भी होंगे।।
स्वर्गवासी जो शहडोल वाले।
धरती की ओर नजर डाले।
जो हजार किमी रास्ते में नहीं मिली।
वो सोने पर मिली।।
ट्रेन जिंदगी खोने पर मिली।।
औरंगाबाद या दिल्ली।
हुक्मरानों की कुर्सी हिली।।
सच तो यह है।
दोष भूख का है।
भूख चाहे रोटी की हो, कुर्सी या किसी और की।
इस दौर की उस दौर की किसी और दौर की।।
यहाँ भूख रोटी की थी।
जिसने किसी को मारा नहीं ।
खुद मर गई।
लेकिन सोच लो।
धर्म मजहब के ठेकेदारो।
कुर्सी के दावेदारो।।
पैसा को सब कुछ समझने वालों।
बात बात पर नफरत व खून करने वालो।।
जब क्रूरता नाचने लगती है।
रोटी की भूख मरने लगती है।
तब होती है क्रांति।
क्रुद्ध हो जाती है शांति।
हिल जाते हैं बड़े बड़े सिंहासन।
मिट जाती है भ्रांति।।
जब जाग जाता है जन जन।
प्रकृति भी फैलाती अपना फन।।
इसलिए इंसानियत जिंदा रखो।
जिन गरीबों की मेहनत से बने हो अमीर।
उनके लिए भी कुछ करो बन कर वीर।।
आओ मजदूरों को मदद करें कराएं।
उनको घर तक पहुंचाएं।
दो रोटी खिलाएं।
अपना कर्तव्य निभाएँ।
आज उन्हें उनका हक दिलाएं।।

©कौशलेन्द्र सिंह लोधी ‘कौशल’
मो. नं.9399462514

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 356 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ऐ दोस्त जो भी आता है मेरे करीब,मेरे नसीब में,पता नहीं क्यों,
ऐ दोस्त जो भी आता है मेरे करीब,मेरे नसीब में,पता नहीं क्यों,
Dr. Man Mohan Krishna
ਪਰਦੇਸ
ਪਰਦੇਸ
Surinder blackpen
बम से दुश्मन मार गिराए( बाल कविता )
बम से दुश्मन मार गिराए( बाल कविता )
Ravi Prakash
* सत्य पथ पर *
* सत्य पथ पर *
surenderpal vaidya
हम ये कैसा मलाल कर बैठे
हम ये कैसा मलाल कर बैठे
Dr fauzia Naseem shad
वसंत पंचमी
वसंत पंचमी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
Ekta chitrangini
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
दोहा पंचक. . .
दोहा पंचक. . .
sushil sarna
नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें
नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
तुम्हारा मेरा रिश्ता....
तुम्हारा मेरा रिश्ता....
पूर्वार्थ
" बच्चा दिल का सच्चा"
Dr Meenu Poonia
बिंदी
बिंदी
Satish Srijan
जिन्दगी की पाठशाला
जिन्दगी की पाठशाला
Ashokatv
Affection couldn't be found in shallow spaces.
Affection couldn't be found in shallow spaces.
Manisha Manjari
#मुक्तक
#मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
दिल पर किसी का जोर नहीं होता,
दिल पर किसी का जोर नहीं होता,
Slok maurya "umang"
Love life
Love life
Buddha Prakash
ये दिल है जो तुम्हारा
ये दिल है जो तुम्हारा
Ram Krishan Rastogi
2627.पूर्णिका
2627.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
एक दिन जब वो अचानक सामने ही आ गए।
एक दिन जब वो अचानक सामने ही आ गए।
सत्य कुमार प्रेमी
"नींद से जागो"
Dr. Kishan tandon kranti
बघेली कविता -
बघेली कविता -
Priyanshu Kushwaha
फेसबुक ग्रूपों से कुछ मन उचट गया है परिमल
फेसबुक ग्रूपों से कुछ मन उचट गया है परिमल
DrLakshman Jha Parimal
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
आने वाले कल का ना इतना इंतजार करो ,
Neerja Sharma
*मीठे बोल*
*मीठे बोल*
Poonam Matia
*ख़ुशी की बछिया* ( 15 of 25 )
*ख़ुशी की बछिया* ( 15 of 25 )
Kshma Urmila
तुम बदल जाओगी।
तुम बदल जाओगी।
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
शांति से खाओ और खिलाओ
शांति से खाओ और खिलाओ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Loading...